हर साल दिनांक 21 जून विश्वयोग दिवस
सवाल- विश्व योग दिवस 21 जून को क्यों मनाया जाता है? Why Is World Yoga Day Celebrated On 21st June?
21 जून प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण दिन है. इसी दिन 15000 साल पहले आदि योगी शिव ने दक्षिण दिशा की तरफ मुड़कर प्रथम बार योग के प्रचार प्रसार के लिए ज्ञान दिया था।
इसी दिन प्रकृति की सबसे अद्भुत घटना धरती पर घटती है, वह 21 जून है।
इसी दिन आदि योगी शिव ने लंबी योग साधना और योग के रहस्य को जानने के बाद अपनी आंखें खोली थी।
इसी दिन उन्होंने योग का ज्ञान सर्वप्रथम सब सप्त ऋषि को दिया था।
सप्त ऋषि लगातार घर के साथ आदि शिव की साधना के समाप्त होने का इंतजार कर रहे थे और इसमें 84 साल का वक्त बीत गया।
धैर्य के साथ उन्हें सुनने वाले हजारों लोगों में सप्त ऋषि ही अंत तक भगवान शिव से योग की जानकारी लेने के लिए उनके पास कई सालों तक बैठे रहें। क्योंकि दुनिया के रहस्य को जानना और परमानंद सुख के अनुभव करने की जिज्ञासा उन दृश्यों में थी इसलिए वे भगवान शिव के साधना से जागने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
भगवान शिव योगी ने सप्त ऋषियों को पहली बार 112 तरीकों से योग सिद्धि के बारे में बताया।
आदियोगी शिव स्वयं चाहते थे कि योग का यह ज्ञान पूरी दुनिया के इंसानो को मिलना चाहिए। इसलिए उन्होंने सप्त ऋषि यों कुल के प्रचार प्रसार के लिए पूरी दुनिया में भेजा।
सप्त ऋषियों ने योगी शिव की साधना समाप्त होने की प्रतीक्षा करने लगे।
आदि योगी शिव ने 84 साल तक योग साधना लगातार किया। उसकी आंखों से परमानंद के आंसू छलक रहे थे। इतने लंबे वर्षों तक केवल 7 लोगों (सप्त ऋषि ) ने धैर्य के साथ उनकी आंखें खुलने का इंतजार किया कि वे क्या जानते हैं, जो हमें भी बताएंगे।
आदियोगी शिव की आंखें जब खुली तो उन्होंने सप्तर्षियों को 112 तरीके के योग के बारे में ज्ञान दिया है।
कई वर्षों तक दीक्षा योग की चलती रही। पूर्णिमा के दिन आदि योगी शिव गुरु ले जो की दीक्षा दी। इसीलिए पूर्णिमा का महत्व गुरु के रूप में होता है।
सप्त ऋषियों को योग के प्रचार-प्रसार के लिए दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में भेज दिया। आदि योगी ने जब सबसे पहला योग का ज्ञान दिया तो वह 21 जून यानी कि सूरज के दक्षिण की दिशा की ओर आगमन का समय था।
21 जून प्राकृतिक घटना और ऊर्जा को संग्रहित करने वाला उत्साहित दिन है। इस दिन दुनिया में सबसे बड़ा दिन होता है। सूरज ऊर्जा सबसे अधिक समय तक प्राप्त होती है। सूरज की ऊर्जा सौभाग्य का प्रतीक है। सौभाग्य से इसी दिन 21 जून को विश्व योग-दिवस मनाया जाता है।
योग क्या है? आदियोगी ने अपने सात शिष्यों यानी सप्तऋषियों के साथ आज से 15000 साल पहले हिमालय में योग का ज्ञान प्राप्त किया। फिर उसके बाद दक्षिण दिशा की तरफ गये।उन्होंने जीवन-तंत्र की खोज करनी शुरू कर दी। जिसे आज हम ‘योग’ कहते हैं। योग शिक्षा पाने के बाद मनुष्य विकास क्रम में बहुत तेजी से विकास हुआ, जो अपने 10 से 15 हजार सालों में सबसे चरम स्तर पर था। वैज्ञानिक भी मनुष्य के अनुवांशिक विकास के क्रम में आज से 15000 साल पहले हुए मनुष्य के बौद्धिक कुशलता में जबरदस्त बुद्धिमता के अचानक विकास इस संभावना से आश्चर्यचकित हैं। जबकि आदि योगी शिव के योग का दिया हुआ ज्ञान मनुष्य के विकास में सहायक रहा है ऐसा योगी प्रणाली में कहा जाता है। |
शिव को आदि योगी क्यों कहा जाता है?
इस संसार में सर्वप्रथम शिव ने ही पृथ्वी पर सभ्यता और संस्कृति का प्रचार प्रसार किया था। इसलिए शिव को आदिदेव भी कहा जाता है। 15000 साल पहले शिव ने योग की शिक्षा अपने 7 शिष्यों को दिया। जिन्हें सप्त ऋषि कहा जाता है। इन ऋषि ने पूरी दुनिया में योग के ज्ञान का प्रचार प्रसार किया।
भगवान शिव को आदि देव क्यों कहा जाता है? शिव को आदिदेव (Adidev shiva) इसलिए कहा जाता है कि आदि का अर्थ होता है शुरुआत। यानी जीवन के संस्कृति और सभ्यता की शुरुआत करने वाले भगवान शिव हैं इन्हीं इसीलिए आदिदेव भी कहा जाता है। आदिनाथ शब्द से भी पुकारा जाता है। योगी शिव है आदेश देने वाले हैं। उन्होंने सातों ऋषियों को आदेश दिया कि योग का ज्ञान पूरी दुनिया में मनुष्य तक उनके बीच रहकर पहुंचाएं। इसलिए शिव को आदिश भी कहा जाता है।