नमस्कार दोस्तो! आज हम एक ऐसे टॉपिक पर चर्चा करने जा रहे हैं, जिसे करने से आपकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आता है। योग (Yoga)के माध्यम से कुंडलिनी Kundalini को जागृत करने का तरीका बताने जा रहे हैं। कुंडलिनी जागृत करने से क्या लाभ है। कुंडलिनी योग क्या होता है? (Kundalini Jagaran Kaise Kare) के बारे में Kundalini Yoga read In Hindi में
कुंडली जागरण योग के बारे में हा जानकारी हम आपको देने जा रहे हैं।
क्या है कुंडलिनी जागरण योग
हमारे शरीर ने 114 प्रकार के चक्र होते हैं। या 114 चक्र हमारे शरीर के अलग-अलग भागों में होते हैं जो हमारे चित्त, बुद्धिमान को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
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7 कुंडलिनी चक्र के बारे में यहां नीचे लिखा हुआ है-
यह हमारे रीढ़ के मेरुदंड पर शरीर के ऊपरी हिस्से से लेकर निचले हिस्से तक रीढ़ में पाए जाते हैं।
सात कुंडलिनी चक्र
- विशुद्ध चक्र
- सहस्रार चक्र
- अनाहत चक्र
- मूलाधार चक्र
- आज्ञा चक्र
- स्वाधिष्ठान चक्र
- मणिपुर चक्र
कुंडलिनी जागृत कैसे की जाती है? Kundali kaise jagrit ki jaati hai
- जब आप लगातार गहन साधना करते हैं, तब आपकी कुंडली शक्ति जाग जाती है। कुंडलिनी शक्ति को जगाने के लिए आपको गुरु के गाइडेंस में योग क्रिया करना चाहिए।
- क्योंकि कुंडलिनी शक्ति जागृत करना एक तरह की ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सावधानियां रखनी पड़ती है और बदलाव की प्रक्रिया से अपने आपको गुजारने के लिए सहज होना पड़ता है।
- कुंडलिनी (Kundalini) जागृत करने के लिए निम्नलिखित योग साधना आपको प्रत्येक दिन एक निर्धारित समय में करना होता है। जैसे प्राणायाम, सूर्य नमस्कार, ध्यान मुद्रा, पद्मासन आदि द्वारा कुंडलिनी शक्ति ( Kundalini shakti ) को जागृत कर सकते हैं।
Kundalini Jagaran करने के लिए आपको शरीर मन और भाव से तैयार होना चाहिए। क्योंकि कुंडलिनी जागृत करने से जीवन आपका बदल जाता है। इसके लिए आपको तैयार रहना चाहिए। |
कुण्डलिनी जागरण कितना समय लगता है?
प्रातः काल तीन बार और सायांकाल तीन बार कुंडली जागरण करने के लिए योग करना चाहिए। अपनी क्षमता के अनुसार धीरे-धीरे ध्यान और योग करने के समय को बढ़ाना चाहिए। जितना अधिक ध्यान आप एकाग्र होकर योग के समय केंद्रित करेंगे, उतने शीघ्र ही आप अपनी कुंडली को जागृत कर पाएंगे।
कुण्डलिनी जागरण के नियम (Kundalini Jagaran ke niyam)
- सुबह 4:00 बजे में उठना चाहिए, रात्रि में जल्दी आराम करना चाहिए। उठने और सोने का समय सही होना चाहिए। खाने में सांची का हार को ध्यान में रखते हुए पौष्टिक भोजन लेना चाहिए।
- आहार में सात्विक भोजन या पौष्टिक भोजन और प्राकृतिक उत्पाद भोजन शामिल करना चाहिए।
- अच्छा आचरण और विनम्रता होना चाहिए।
- हर दिन प्राणायाम ध्यान और चिंतन की प्रैक्टिस करना चाहिए।
- सदाचार और सात्विक आहार और आचरण से उत्पन्न होती है।
- उत्तम विचार मन में होना चाहिए। किसी तरह की चिंता और जैसा भाव नहीं होना चाहिेए।
बैठने का सही तरीका
- दोस्तों कुंडलिनी जागरण आने के लिए आपको सही तरीके से बैठना आना चाहिए। योग करते समय आप की रीढ़ सीधी होनी चाहिए।
- सिर सीधा रहना चाहिए। इस अवस्था में बैठना जरूरी होता है, चाहे आप कुंडलिनी योग के लिए बैठ रहे हो या साधारण योग करने के लिए बैठ रहे हो। बैठने का सही तरीका आपको जानना जरूरी है।
ध्यान कैसे केंद्रित करें?
- आपको बता दें कि जब आप ध्यान केंद्रित करते हैं तो कुंडली जागृत होने आसानी होती है।
- ध्यान केंद्रित करने के लिए सबसे पहले आपको अपना ध्यान ऊपर से नीचे की ओर ध्यान की अवस्था में अपने शरीर को देखने का प्रयास करना चाहिए। कुंडलिनी योग (kundalini yoga) करते समय साँस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- अपने विचार को आधार से शीर्ष की ओर ले जाना चाहिए। कहने का मतलब है कि जब आप ध्यान मुद्रा में चले जाते हैं तो अपने शरीर से सिर से पैर तक को मन की आंखों से देखना चाहिए।